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प्रिय द एन्डैन्जर्ड लैंग्वेज प्रोजेक्ट (ईएलपी),

मैं यह दुर्लभ, लुप्तप्राय: भाषा सीखना चाहता हूँ, लेकिन इसे बोलने वाला कोई भी व्यक्ति मुझे नहीं सिखा रहा!! यह ठीक नहीं है - मैं उनकी भाषा सीख कर और उसे जीवित रखकर उनकी मदद करने की कोशिश कर रहा हूं। मैं उन्हें अपनी भाषा साझा करने के लिए कैसे प्रेरित करूँ?

-बहुभाषाविद पॉल

 

प्रिय पॉल,

अपना प्रश्न पूछने के लिए धन्यवाद। अतीत में कई लोगों ने हमसे इसी प्रकार के प्रश्न पूछे हैं, इसलिए मुझे आशा है कि मेरा उत्तर न केवल आपके लिए, बल्कि उन अन्य लोगों के लिए भी उपयोगी होगा जो शायद इसी प्रकार सोच रहे हैं।

संक्षेप में कहें तो, तो आपको ऐसा नहीं करना चाहिए।

लेकिन चीज़ों को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हमें प्रश्न को थोड़ा विस्तार से समझने की जरूरत है। आपने केवल सनक में एक ऐसी भाषा सीखने का निर्णय लिया है, जिससे आपका कोई संबंध नहीं है। आपने उन लोगों से संपर्क किया है जिनका इस भाषा से संबंध है और उन्होंने, अपने समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए, आपको इसे न सिखाने का निर्णय किया है। अब आप अपमानित महसूस कर रहे हैं। आप यह नहीं जानना चाहते कि आप उन्हें कैसे राज़ी कर सकते हैं (जिसमें वैसे ही बहुत समस्या होगी), बल्कि आप यह जानना चाहते हैं कि आप उन्हें अपनी भाषा सिखाने के लिए कैसे मजबूर कर सकते हैं।

सबसे पहले, यह महत्वपूर्ण है कि आप स्वयं को शिक्षित करें कि किन कारणों से एक स्वदेशी, लुप्तप्राय: या अल्पसंख्यक-भाषी लोगों का समुदाय आपको अपनी भाषा नहीं सिखाना चाहेगा। आप पहले बाहरी व्यक्ति नहीं हैं जो किसी समुदाय से संपर्क कर कह रहे हैं कि आप मदद करना चाहते हैं। कई समुदायों में मदद के प्रस्ताव के साथ शोषण भी हुआ है। उदाहरण के लिए, शोधकर्ता समुदायों में उनकी भाषाओं को बढ़ावा देने के वादे के साथ घुसे, लेकिन अंततः उन्होंने जो सीखा, उसका उपयोग केवल अपने करियर बनाने के लिए किया। बाहरी भाषाविदों ने समुदाय के सदस्यों द्वारा साझा किए गए ज्ञान और सूचना का उपयोग संसाधनों के निर्माण के लिए किया है, और फिर भुगतान की मांग करके उन संसाधनों तक समुदाय की पहुंच को अवरुद्ध कर दिया है। लोगों को इस शोषणकारी हस्तक्षेप से मुक्त होकर जीने का अधिकार है।

आप कह रहे हैं कि आप मदद करना चाहते हैं, लेकिन इसका सबूत कहाँ है कि आप ऐसा करेंगे? आपने बस इतना ही कहा है कि आप भाषा सीखना चाहते हैं और उसे जीवित रखना चाहते हैं। दरअसल समुदाय ही भाषा का प्रयोग करेगा और उसे विकसित होने में मदद करेगा। समुदायों के लिए उनकी भाषाएं अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं, और आप किसी को भी अपनी भाषा अपने साथ साझा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। ऐसा प्रतीत नहीं होता कि समुदाय के किसी भी सदस्य ने आपके साथ भाषा बोलने में या आपके द्वारा भाषा बोलने में रुचि व्यक्त की है। उनकी इच्छाओं का सम्मान करें। क्या आपने वक्ताओं से इस बारे में परामर्श किया है कि क्या आप उनकी मदद अन्य तरीकों से कर सकते हैं? उनके पास कुछ विचार हो सकते हैं कि आप किस प्रकार उनके समुदाय में योगदान दे सकते हैं, जो सीधे तौर पर भाषा से संबंधित नहीं हैं। मेरे सहयोगी पायस अकुम्बु ने अफ़्रीका में भाषा दस्तावेज़ीकरण के संदर्भ में सामुदायिक दृष्टिकोण अपनाने के महत्व के बारे में लिखा है। समुदाय को आपसे क्या चाहिए, यह उनके साथ काम करके पता चल सकता है और यह दिखा सकता है कि भाषा सीखना शायद मदद करने का सबसे अच्छा तरीका नहीं है।

आपके प्रश्न से ऐसा लगता है कि आप समझते हैं समुदाय आपका ऋणी है - भाषा सिखाने और स्वीकृति देने के लिए। मैं आपसे यह विचार करने के लिए कहूँगी कि आपकी पृष्ठभूमि में ऐसा क्या है जिसके कारण आपको ऐसा महसूस हुआ कि एक कमज़ोर समुदाय से आपको स्वतः ही यह सम्मान मिलना चाहिए। इस सब में आपकी क्या स्थिति है? यह प्रश्न आपको इसमें शामिल औपनिवेशिक तर्क की निरंतरता पर विचार करने में मदद कर सकता है। आप इस भाषा को “दुर्लभ” और “मृतप्राय:” कहते हैं। इससे आपकी स्थिति के बारे में भी बहुत कुछ पता चलता है। किसके अनुसार दुर्लभ? और मैं आपको भाषाओं को मृत या समाप्त होती हुई कहने से जुड़े मुद्दों के बारे में और अधिक जानने के लिए आमंत्रित करती हूँ। इस तरह की नकारात्मक भाषा से लगता है कि भाषा समाप्त होना एक अपरिवर्तनीय प्रक्रिया है और यह अल्पसंख्यक भाषाओं को पुनर्जीवित करने के लिए किए जा रहे शानदार काम को गौण बनाती है।

यह बहुत संभव है कि आपकी अब तक की शिक्षा ने आपको ऐसा सोचने के लिए प्रोत्साहित किया हो। हम में कई लोग ऐसी शिक्षा प्रणालियों का हिस्सा रहे हैं जो उपनिवेशवाद से उत्पन्न सामाजिक वर्गीकरण और असमानताओं पर सवाल नहीं उठाती, और उन्हें जारी रखती हैं। यहां तक ​​कि जब हमें “अच्छा करने” के लिए प्रेरित किया गया है, तब भी अन्य समुदायों के संबंध में हमें “उद्धारकर्ता” के रूप में पेश किया गया हो। यदि हमें भाषा के पुनरुद्धार में भूमिका निभानी है तो हमें ऐसे पूर्वाग्रहों से लड़ने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। इसके लिए संरचनात्मक और आत्मचिंतनशील ढंग से सोचने की आवश्यकता है; अपनी स्थिति और अन्य लोगों के साथ अपने संबंधों के बारे में गहराई से सोचने की आवश्यकता है। इसके लिए अपमानित या तिरस्कृत महसूस करने के बजाय विनम्र और सीखने की इच्छा होना भी आवश्यक है। भाषा पुनरुद्धार में शामिल एक शिक्षित श्वेत, मध्यम वर्गीय यूरोपीय व्यक्ति के रूप में मुझे भी अपने पूर्वाग्रहों की आलोचनात्मक जांच करने की ज़रूरत पड़ी थी। यह एक प्रक्रिया है, और (नहीं) सीखना या भूलना कभी नहीं रुकता।

सौभाग्य से, ऐसे संसाधन उपलब्ध हैं जो इस प्रक्रिया में आपकी सहायता कर सकते हैं। मैं अपनी सहकर्मियों एना बेलेव और अमांडा होम्स द्वारा तैयार की गई एक भाषाविद् की आचार संहिता (ए लिंगुइस्ट्स कोड ऑफ़ कॉन्डक्ट) से शुरुआत करने की सलाह दूँगा / दूँगी। यह पुस्तक शोधकर्ताओं के लिए है, लेकिन मेरा मानना ​​है कि एक भाषा सीखने वाले के रूप में आप उनकी अंतर्दृष्टि से बहुत कुछ सीख सकते हैं। आप परामर्श सत्र के लिए मुझसे भी संपर्क कर सकते हैं और हम विचार कर सकते हैं कि आप आगे क्या कर सकते हैं। भाषा को ख़तरे के खिलाफ़ वैश्विक आंदोलन में शायद आप कुछ योगदान कर सकते हैं, लेकिन पहले आपको बहुत कुछ सीखना होगा।

-एलेक्सांड्रा

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Language in Society
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Polyglot Paul
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Scholars and researchers Language learners
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Ethics and Protocols

Source URL: https://www.endangeredlanguages.com/story/elp-sae-pauuchaen-bahaubhaasaavaida-paola